शनिवार, 22 सितंबर 2018

लवर के लिए प्यार भरी शायरी


लवर के लिए प्यार भरी शायरी

तुम्हें पलकों पर बिठाने को जी चाहता है,
तुम्हारी बाहों से लिपटने को जी चाहता है,
है मोहब्बत इस कदर तुमसे कि
हर दिन तुम्हारे लिए ये दिल धड़कना चाहता है।


हसरत है सिर्फ तुम्हें पाने की, 
और कोई ख्वाहिश नहीं इस दीवाने की, 
शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदा से है, 
क्या ज़रूरत थी, तुम्हें इतना खूबसूरत बनाने की !!


बड़ी मुद्दत से चाहा है तुझे! 
बड़ी दुआओं से पाया है तुझे!
तुझे भुलाने की सोचूं भी तो कैसे!
किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे!


प्यार दिल में छुपाए बैठे थे वो,
तस्वीर को हमारी दिल से लगाये रहते थे वो,
कही जल्दबाजी में हाथ न छूट जाए उनका,
इसीलिए लब्ज़ों को सीए रहते थे वो। 


झोख़े ये हवा के 
बिखेर देते है मुझे,
रोता हुआ यूं 
छोड़ देते है मुझे,
कमबख्त कोई तो हो
जो इन आंसुओ को पोछे,
सूखे सोने भी नहीं देते है मुझे।


दिल पे क्या गुज़री वो अनजान क्या जाने;
प्यार किसे कहते है वो नादान क्या जाने;
हवा के साथ उड़ गया घर इस परिंदे का;
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने।


उनकी याद में सब कुछ भुलाए बैठे हैं...
चिराग खुशियों के बुझाए बैठे हैं..
हम तो मरेंगे उनकी बाहों में ..
ये मौत से शर्त लगाए बैठे हैं।


रोती हुई आँखो में इंतज़ार होता है,
ना चाहते हुए भी प्यार होता है,
क्यों देखते है हम वो सपने,
जिनके टूटने पर भी उनके सच होने का इंतेज़ार होता है?


जब खामोश आँखो से बात होती है,
ऐसे ही मोहब्बत की शुरुआत होती है,
तुम्हारे ही ख़यालो में खोए रहते हैं
पता नहीं कब दिन और कब रात होती है...


पैगाम तो एक बहाना था..
इरादा तो आपको याद दिलाना था..
आप याद करे या ना करे कोई बात नहीं ..
पर आपकी याद आती है,
बस इतना ही हमने आपको बताना था।








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