शनिवार, 8 सितंबर 2018

प्यार की ओर

प्यार की ओर ......


किसी शायर की शायरी इत्तिफाक नहीं होती,
जो तेरे बारे में न हो वो बात नहीं होती,
रह जाती है दिल मे बातें दबी बहुत ...
क्योकि अभी अच्छी तरह बात नहीं होती ....।

रोने से किसी को पाया नहीं जाता, 
खोने से किसी को भुलाया नहीं जाता, 
वक्त सबको मिलता है जिन्दगी बदलने के लिए, 
पर जिन्दगी नहीं मिलती वक्त बदलने के लिए।

पास आकर सभी दूर चले जाते हैं, 
हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं, 
दिल का दर्द किसको दिखाए, 
मरहम लगाने वाले ही ज़ख़्म दे जाते हैं।

उन्हें चाहना हमारी कमजोरी है,
उनसे कह नहीं पाना हमारी मजबूरी है,
वो क्यूँ नहीं समझते हमारी खामोशी को,
क्या प्यार का इज़हार करना जरूरी है ?

आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
कश्ती के मुसाफिर ने समंदर नहीं देखा,
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा।

शिकायत है उन्हें कि,
हमें मोहब्बत करना नहीं आता,
शिकवा तो इस दिल को भी है,
पर इसे शिकायत करना नहीं आता।

बिन बात के ही रूठने की आदत है;
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है;
आप खुश रहें, मेरा क्या है;
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।

तन्हा रहना तो सीख लिया हमने,
लेकिन खुश कभी ना रह पाएंगे,
तेरी दूरी तो फिर भी सह लेता ये दिल,
लेकिन तेरी मोहब्बत के बिना ना जी पाएंगे।

लोग कहते हैं किसी एक के चले जाने से जिन्दगी अधूरी नहीं होती,
लेकिन लाखों के मिल जाने से उस एक की कमी पूरी नहीं होती है।

उनका भी कभी हम दीदार करते है,
उनसे भी कभी हम प्यार करते है,
क्या करें जो उनको हमारी जरुरत न थी,
पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है.

गुलशन है अगर सफ़र जिंदगी का,
 तो इसकी मंजिल समशान क्यों है?
जब जुदाई है प्यार का मतलब,
 तो फिर प्यार वाला हैरान क्यों है?
अगर जीना ही है मरने के लिए,
 तो जिंदगी ये वरदान क्यों है?
जो कभी न मिले उससे ही लग जाता है दिल,
आखिर ये दिल इतना नादान क्यों है?

"उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम, 
उसके ग़मो को हंसीं से सजा रहे थे हम, 
जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ
 जिसकी लो को हवा से बचा रहे थे हम"

"काश कोई हम पर प्यार जताता, 
हमारी आंखों को अपने होंठों से छुपाता, 
हम जब पूछते कौन हो तुम, 
मुस्कुरा कर वो अपने आप को हमारी जान बताता"



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